Thursday, June 17, 2010

गोमूत्र से बनी दवा को मिला अमेरिकी पेटेंट

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आएसएस) के एक सहयोगी संगठन द्वारा गोमूत्र से बनाई गई एक दवा को अमेरिकी पेटेंट हासिल हुआ है। कैंसर निरोधी इस दवा को एंटी-जीनोटॉक्सिटी गुणों की वजह से तीसरी बार यह पेटेंट मिला है।नैशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियर रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) के कार्यकारी निदेशक तपन चक्रवर्ती के हवले से बताया गया है कि संघ समर्थित संगठन गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र और नीरी द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई दवा कामधेनु अर्क को यह पेटेंट हासिल हुआ है।चक्रवर्ती और केंद्र के प्रतिनिधि सुनील मानसिंघका ने बताया कि री-डिस्टिल्ड काउ यूरिन डिस्टिलेट (आरसीयूडी) का इस्तेमाल जैविक तौर पर नुकसानग्रस्त डीएनए को दुरुस्त करने में किया जा सकता है। इस नुकसान से कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है।

गोमूत्र से बनी दवा को मिला अमेरिकी पेटेंट

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आएसएस) के एक सहयोगी संगठन द्वारा गोमूत्र से बनाई गई एक दवा को अमेरिकी पेटेंट हासिल हुआ है। कैंसर निरोधी इस दवा को एंटी-जीनोटॉक्सिटी गुणों की वजह से तीसरी बार यह पेटेंट मिला है।नैशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियर रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) के कार्यकारी निदेशक तपन चक्रवर्ती के हवले से बताया गया है कि संघ समर्थित संगठन गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र और नीरी द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई दवा कामधेनु अर्क को यह पेटेंट हासिल हुआ है।चक्रवर्ती और केंद्र के प्रतिनिधि सुनील मानसिंघका ने बताया कि री-डिस्टिल्ड काउ यूरिन डिस्टिलेट (आरसीयूडी) का इस्तेमाल जैविक तौर पर नुकसानग्रस्त डीएनए को दुरुस्त करने में किया जा सकता है। इस नुकसान से कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है।

गोमूत्र से बनी दवा को मिला अमेरिकी पेटेंट

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आएसएस) के एक सहयोगी संगठन द्वारा गोमूत्र से बनाई गई एक दवा को अमेरिकी पेटेंट हासिल हुआ है। कैंसर निरोधी इस दवा को एंटी-जीनोटॉक्सिटी गुणों की वजह से तीसरी बार यह पेटेंट मिला है।नैशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियर रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) के कार्यकारी निदेशक तपन चक्रवर्ती के हवले से बताया गया है कि संघ समर्थित संगठन गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र और नीरी द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई दवा कामधेनु अर्क को यह पेटेंट हासिल हुआ है।चक्रवर्ती और केंद्र के प्रतिनिधि सुनील मानसिंघका ने बताया कि री-डिस्टिल्ड काउ यूरिन डिस्टिलेट (आरसीयूडी) का इस्तेमाल जैविक तौर पर नुकसानग्रस्त डीएनए को दुरुस्त करने में किया जा सकता है। इस नुकसान से कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है।

एरोमाथेरेपी

एरोमाथेरेपी प्राकृतिक तेलों के व्यवस्थित उपयोग से बीमारियों के उपचार की एक प्रभावकारी चिकित्सा पद्धति है। इसमें विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधीय पौधों से निकाले गए सुगंधित तेल और अन्य पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। यह विभिन्न रोगों से बचाव और स्वास्थ्य सुधारने में भी मदद करता है। इसके साथ ही इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। एरोमाथेरेपी में सुगंधित तेलों का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। इसमें मसाज, स्नान, इंहेलेशन आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार सुगंधित तेल शरीर में अवशोषित होकर रोगों का उपचार करते हैं। तनाव संबंधी समस्याओं के उपचार में अरोमाथेरेपी सबसे अधिक कारगर है।

एरोमाथेरेपी

एरोमाथेरेपी प्राकृतिक तेलों के व्यवस्थित उपयोग से बीमारियों के उपचार की एक प्रभावकारी चिकित्सा पद्धति है। इसमें विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधीय पौधों से निकाले गए सुगंधित तेल और अन्य पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। यह विभिन्न रोगों से बचाव और स्वास्थ्य सुधारने में भी मदद करता है। इसके साथ ही इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। एरोमाथेरेपी में सुगंधित तेलों का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। इसमें मसाज, स्नान, इंहेलेशन आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार सुगंधित तेल शरीर में अवशोषित होकर रोगों का उपचार करते हैं। तनाव संबंधी समस्याओं के उपचार में अरोमाथेरेपी सबसे अधिक कारगर है।

एरोमाथेरेपी

एरोमाथेरेपी प्राकृतिक तेलों के व्यवस्थित उपयोग से बीमारियों के उपचार की एक प्रभावकारी चिकित्सा पद्धति है। इसमें विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधीय पौधों से निकाले गए सुगंधित तेल और अन्य पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। यह विभिन्न रोगों से बचाव और स्वास्थ्य सुधारने में भी मदद करता है। इसके साथ ही इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। एरोमाथेरेपी में सुगंधित तेलों का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। इसमें मसाज, स्नान, इंहेलेशन आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार सुगंधित तेल शरीर में अवशोषित होकर रोगों का उपचार करते हैं। तनाव संबंधी समस्याओं के उपचार में अरोमाथेरेपी सबसे अधिक कारगर है।

एरोमाथेरेपी

एरोमाथेरेपी प्राकृतिक तेलों के व्यवस्थित उपयोग से बीमारियों के उपचार की एक प्रभावकारी चिकित्सा पद्धति है। इसमें विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधीय पौधों से निकाले गए सुगंधित तेल और अन्य पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। यह विभिन्न रोगों से बचाव और स्वास्थ्य सुधारने में भी मदद करता है। इसके साथ ही इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। एरोमाथेरेपी में सुगंधित तेलों का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। इसमें मसाज, स्नान, इंहेलेशन आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार सुगंधित तेल शरीर में अवशोषित होकर रोगों का उपचार करते हैं। तनाव संबंधी समस्याओं के उपचार में अरोमाथेरेपी सबसे अधिक कारगर है।

एरोमाथेरेपी

एरोमाथेरेपी प्राकृतिक तेलों के व्यवस्थित उपयोग से बीमारियों के उपचार की एक प्रभावकारी चिकित्सा पद्धति है। इसमें विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधीय पौधों से निकाले गए सुगंधित तेल और अन्य पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। यह विभिन्न रोगों से बचाव और स्वास्थ्य सुधारने में भी मदद करता है। इसके साथ ही इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। एरोमाथेरेपी में सुगंधित तेलों का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। इसमें मसाज, स्नान, इंहेलेशन आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार सुगंधित तेल शरीर में अवशोषित होकर रोगों का उपचार करते हैं। तनाव संबंधी समस्याओं के उपचार में अरोमाथेरेपी सबसे अधिक कारगर है।

एरोमाथेरेपी

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एरोमाथेरेपी

एरोमाथेरेपी प्राकृतिक तेलों के व्यवस्थित उपयोग से बीमारियों के उपचार की एक प्रभावकारी चिकित्सा पद्धति है। इसमें विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधीय पौधों से निकाले गए सुगंधित तेल और अन्य पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। यह विभिन्न रोगों से बचाव और स्वास्थ्य सुधारने में भी मदद करता है। इसके साथ ही इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। एरोमाथेरेपी में सुगंधित तेलों का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। इसमें मसाज, स्नान, इंहेलेशन आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार सुगंधित तेल शरीर में अवशोषित होकर रोगों का उपचार करते हैं। तनाव संबंधी समस्याओं के उपचार में अरोमाथेरेपी सबसे अधिक कारगर है।

एरोमाथेरेपी

एरोमाथेरेपी प्राकृतिक तेलों के व्यवस्थित उपयोग से बीमारियों के उपचार की एक प्रभावकारी चिकित्सा पद्धति है। इसमें विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधीय पौधों से निकाले गए सुगंधित तेल और अन्य पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। यह विभिन्न रोगों से बचाव और स्वास्थ्य सुधारने में भी मदद करता है। इसके साथ ही इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। एरोमाथेरेपी में सुगंधित तेलों का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। इसमें मसाज, स्नान, इंहेलेशन आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार सुगंधित तेल शरीर में अवशोषित होकर रोगों का उपचार करते हैं। तनाव संबंधी समस्याओं के उपचार में अरोमाथेरेपी सबसे अधिक कारगर है।

एरोमाथेरेपी

एरोमाथेरेपी प्राकृतिक तेलों के व्यवस्थित उपयोग से बीमारियों के उपचार की एक प्रभावकारी चिकित्सा पद्धति है। इसमें विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधीय पौधों से निकाले गए सुगंधित तेल और अन्य पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। यह विभिन्न रोगों से बचाव और स्वास्थ्य सुधारने में भी मदद करता है। इसके साथ ही इससे सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। एरोमाथेरेपी में सुगंधित तेलों का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है। इसमें मसाज, स्नान, इंहेलेशन आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार सुगंधित तेल शरीर में अवशोषित होकर रोगों का उपचार करते हैं। तनाव संबंधी समस्याओं के उपचार में अरोमाथेरेपी सबसे अधिक कारगर है।

आँखें बताती हैं उम्र का राज

दिल से ज्यादा आँखें राजदार होती हैं। एक नए अध्ययन के मुताबिक आँखें यहाँ तक बता सकती हैं कि आप कब पैदा हुए। कोपेहेगन और आरहुस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक आँखों की मदद से किसी इंसान के जन्मदिवस का सटीक आकलन किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के तहत लोगों के जन्मदिन का पता लगाने के लिए रेडियो कार्बन डेटिंग पद्धति का इस्तेमाल करने के अलावा पुतलियों में मौजूद विशेष प्रोटीन का विश्लेषण किया।इन पद्धतियों के सहारे फॉरेंसिक विशेषज्ञ किसी अज्ञात शव या व्यक्ति की उम्र का पता लगा सकते हैं। शोधकर्ताओं की इस रिपोर्ट को प्लॉस वन नामक ऑनलाइन जर्नल में उपलब्ध कराया गया है। आँखों की पुतली पारदर्शी प्रोटीन क्रिस्टैलिन की बनी होती हैं। यह प्रोटीन काफी सघन होता है। पारदर्शी होने के कारण रोशनी आसानी से आर-पार जाती है। बचपन में शुरू के एक दो वर्षों तक इस प्रोटीन का निर्माण जारी रहता है। इसके बाद आँखों में यह प्रोटीन बगैर किसी बदलाव के पूरे जीवन मौजूद रहता है। इसी के सहारे इंसान की उम्र का पता लगाया जा सकता है।

लगातार कार्य करना खतरे को आमंत्रण

यदि आप लगातार काम करते हैं तो सावधान हो जाइए। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए नए अध्ययन में पता चला है कि बिना रूके लगातार काम करने वालों में स्वास्थ्य के प्रति खतरा पैदा हो सकता है।शोधकर्ताओं के मुताबिक इस अध्ययन में पाया गया है कि लगातार काम करने वाले प्रत्येक चार में से एक व्यक्ति को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से जूझना पड़ता है।मोटापा, अवसाद जैसी बीमारियां हो सकती हैं

एक सस्ती दवाई जो बचाएगी लाखों जिंदगियाँ


हर साल पूरे विश्व में करीब 6 लाख लोगों की मौत रक्तस्राव होने से हो जाती है. रक्तस्राव की सबसे बडी वजह सडक दुर्घटना होती है. हर साल लाखों लोग सडक दुर्घटना का शिकार होते हैं और उनमें से अधिकाधिक लोगों की मौत खून बह जाने से हो जाती है. इसके अलावा दंगों में, पुलिस लाठीचार्ज, झड़पों की वजह से, गिर जाने से तथा किसी नुकीली वस्तु का इस्तेमाल करते समय चोट लग जाने से रक्तस्राव शुरू हो जाता है और यदि चोट बड़ी हो तो मौत का खतरा उपस्थित हो जाता है. इस प्रकार की दुर्घटनाओं के शिकार अधिकतर वे लोग होते हैं जो गरीब और मध्यमवर्ग से आते हैं. इन लोगों का समय रहते समुचित इलाज नहीं हो पाता और रक्तस्राव को रोकने के त्वरित कदम ना उठाए जाने से हैमरैज होने का खतरा उपस्थित हो जाता है और लोगों की मौत हो जाती है. परंतु अब यह स्थिति बदल सकती है. शोधकर्ताओं ने दुर्घटनाओं के शिकार 20000 लोगों पर एक सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवाई का परीक्षण किया. Tranexamic Acid या TXA नामक इस दवाई ने अच्छा कार्य किया और रक्तस्राव को बढने से रोका जा सका. अब शोधकर्ताओ का मानना है कि इस दवाई की वजह से कम से कम 1 लाख लोगों का जीवन बचाया जा सकता है. यह दवाई कई कम्पनियाँ बनाती है और यह पैटेंट से मुक्त है. यह दवाई काफी सस्ती - 200 रूपए प्रति ग्राम - भी है. लंडन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रोपिकल मैडिसीन के इयान रोबर्ट्स और हलीमा शकूर ने कहा कि दुनिया भर के ट्रोमा सेंटर्स में इस दवाई की उपलब्धता होनी चाहिए और चिकित्सकों को चाहिए कि वे इस दवाई का इस्तेमाल करें. उनकी टीम ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से मांग भी की है कि इस दवाई को "आवश्यक" की श्रेणी के अंतर्गत लाए. कैसे काम करती है यह दवाई:दुर्घटना के शिकार व्यक्ति का शरीर कई जगहों से कट जाता है और रक्तस्राव शुरू हो जाता है. यदि उस पर काबू ना पाया जाए तो शरीर में खून की कमी हो जाती है और हैमरेज होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है. हैमरेज की स्थिति में शरीर के अंग एक एक कर काम करना बंद देते हैं और उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है. यह दवाई कटे हुए स्थान पर हो रहे रक्तस्राव को रोकने के लिए शरीर के द्वारा ही बनाए गए रक्त जाम [ब्लड क्लोट] को मजबूत बनाती है और उसे टूटने से रोकती है. इससे रक्तस्राव रूक जाता है.

एक सस्ती दवाई जो बचाएगी लाखों जिंदगियाँ


हर साल पूरे विश्व में करीब 6 लाख लोगों की मौत रक्तस्राव होने से हो जाती है. रक्तस्राव की सबसे बडी वजह सडक दुर्घटना होती है. हर साल लाखों लोग सडक दुर्घटना का शिकार होते हैं और उनमें से अधिकाधिक लोगों की मौत खून बह जाने से हो जाती है. इसके अलावा दंगों में, पुलिस लाठीचार्ज, झड़पों की वजह से, गिर जाने से तथा किसी नुकीली वस्तु का इस्तेमाल करते समय चोट लग जाने से रक्तस्राव शुरू हो जाता है और यदि चोट बड़ी हो तो मौत का खतरा उपस्थित हो जाता है. इस प्रकार की दुर्घटनाओं के शिकार अधिकतर वे लोग होते हैं जो गरीब और मध्यमवर्ग से आते हैं. इन लोगों का समय रहते समुचित इलाज नहीं हो पाता और रक्तस्राव को रोकने के त्वरित कदम ना उठाए जाने से हैमरैज होने का खतरा उपस्थित हो जाता है और लोगों की मौत हो जाती है. परंतु अब यह स्थिति बदल सकती है. शोधकर्ताओं ने दुर्घटनाओं के शिकार 20000 लोगों पर एक सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवाई का परीक्षण किया. Tranexamic Acid या TXA नामक इस दवाई ने अच्छा कार्य किया और रक्तस्राव को बढने से रोका जा सका. अब शोधकर्ताओ का मानना है कि इस दवाई की वजह से कम से कम 1 लाख लोगों का जीवन बचाया जा सकता है. यह दवाई कई कम्पनियाँ बनाती है और यह पैटेंट से मुक्त है. यह दवाई काफी सस्ती - 200 रूपए प्रति ग्राम - भी है. लंडन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रोपिकल मैडिसीन के इयान रोबर्ट्स और हलीमा शकूर ने कहा कि दुनिया भर के ट्रोमा सेंटर्स में इस दवाई की उपलब्धता होनी चाहिए और चिकित्सकों को चाहिए कि वे इस दवाई का इस्तेमाल करें. उनकी टीम ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से मांग भी की है कि इस दवाई को "आवश्यक" की श्रेणी के अंतर्गत लाए. कैसे काम करती है यह दवाई:दुर्घटना के शिकार व्यक्ति का शरीर कई जगहों से कट जाता है और रक्तस्राव शुरू हो जाता है. यदि उस पर काबू ना पाया जाए तो शरीर में खून की कमी हो जाती है और हैमरेज होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है. हैमरेज की स्थिति में शरीर के अंग एक एक कर काम करना बंद देते हैं और उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है. यह दवाई कटे हुए स्थान पर हो रहे रक्तस्राव को रोकने के लिए शरीर के द्वारा ही बनाए गए रक्त जाम [ब्लड क्लोट] को मजबूत बनाती है और उसे टूटने से रोकती है. इससे रक्तस्राव रूक जाता है.

वीरू के जाल में फंसे

वीरेंद्र सहवाग (छह रन पर चार विकेट) की करिश्माई गेंदबाजी के बाद ओपनर गौतम गंभीर (82) के शानदार अर्धशतक की बदौलत भारत ने एशिया कप क्रिकेट टूर्नामेंट के अपने पहले मैच में बांग्लादेश को छह विकेट से हराकर अपने अभियान की शानदार शुरूआत की। सहवाग ने मात्र 2.5 ओवर की अपनी गेंदबाजी में छह रन देकर चार विकेट झटके।आशीष नेहरा और अन्य गेंदबाजों ने सहवाग का बखूबी साथ देते हुए पहले बल्लेबाजी कर रही बांग्लादेश टीम का बोरिया बिस्तर 35वें ओवर में 167 के स्कोर पर समेट दिया। 168 रन के छोटे से लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने थोड़ी धीमी शुरूआत की। कुल 37 रन के टीम स्कोर पर सहवाग (11) के रूप में पहला विकेट खोने के बावजूद गंभीर ने अपनी धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी की बदौलत जीत की देहरी पर ला खड़ा किया। गंभीर ने 101 गेंदों का सामना करके छह शानदार चौके लगाए। उनके के बाद कप्तान धोनी और रैना ने टीम को जीत दिलाई।

पैसा नहीं मिला तो धोनी ने किया केस

टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने विज्ञापन के भुगतान से इनकार करने पर कोलकाता स्थित एक खेल प्रबंधन कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि धोनी ने अपनी शिकायत कुरियर के जरिए डोरंडा पुलिस स्टेशन भिजवाई है।सूत्रों ने कहा, भारतीय कप्तान से शिकायत मिलने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्राथमिकी के अनुसार खेल प्रबंधन कंपनी (गेम प्लान) ने धोनी को आठ करोड़ रूपए का भुगतान करने से इनकार किया है।

फिट हैं, तो हिट हैं

रोजाना वर्कआउट के बावजूद अगर आप स्लिम नहीं हो पा रहे हैं, तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण आपका लो मेटाबोलिज्म है। जिस रेट पर बॉडी फैट को बर्न करती है और न्यूट्रीयंट्स को डाइजेस्ट करती है उसे मेटाबॉलिज्म कहा जाता है। सिर्फ हैल्दी डाइट व एक्सरसाइज से ही एक्स्ट्रा केजी को कम नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए जरूरी है कि आपका मेटाबोलिज्म सही तरीके से काम करे। डायटिशियन्स मानते हैं कि मेटाबोलिज्म को स्पीड अप करने के लिए कुछ बातें ध्यान में रखना जरूरी है ताकि कैलरीज सही तरीके से बर्न होती रहें। सुबह आप तो उठ जाते हैं, लेकिन आपकी बॉडी को उठाने के लिए ब्रेकफास्ट की जरूरत होती है। रातभर सोने के बाद आपका खाना जरूरी है। ज्यादातर लोग नाश्ते को मिस कर देते हैं, जिस वजह से उन्हें स्लो मेटाबोलिक रेट का सामना करना पड़ता है। डायटीशियन मानते हैं कि नाश्ते में सीरीयल्स लें। बॉडी को एनर्जी के कार्बोहाइड्रेट्स की आवश्यकता होती है। इसलिए एनर्जी के लिए सही खाना खाने की आवश्यकता है। कॉफी को छोड़ आप ग्रीन टी या दूध के गिलास को अपनी रूटीन में शामिल कर सकती हैं। नाश्ते का सही समय सुबह 8.00 से 9.00 बजे तक का रखें। इसके बाद सुबह 10.00 से 11.00 बजे के बीच फल लिया जा सकता है।

बचें अनीमिया से

बचें अनीमिया से अनीमिया का सबसे बड़ा प्रभाव, जिसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है, वह यह है कि इससे हमारे दिमाग की क्षमता कम होती है। अनीमिक लोग दूसरों की तुलना में मानसिक रूप से कमजोर प्रदर्शन कर पाते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में इसके बारे में अंदाजा नहीं लगा पाते। महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में से सबसे बड़ी समस्या है "अनीमिया"। यह समस्या हर उम्र की महिलाओं में व लड़कियों में मासिक धर्म के शुरू होने की वजह से हो सकती है। भारत में करीब 70 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं अनीमियाग्रस्त होती हैं, जो देश में प्रीमैच्योर बेबीज की संख्या में तेजी का बड़ा कारण है।